आ तुझे लेकर चलु
उस गगन के तले,..
जहाँ चन्दा, तारे
करोड़ो सूरज पलै,...
निर्माण, निर्वाण का
जहाँ नित दौर चले,...1
न समय का आयाम
न कोई यहाँ का नियम चले,..
आ तुझे लेकर चलु
उस गगन के तले,..
जहाँ चन्दा तारे
करोड़ो सूरज पलै,...
तू एक गंगा को तरसै
वहाँ करोड़ो आकाश गंगा
नित रोज रोज बरसै,..2
मिटै उजाला अंधेरा
शंख नाद ओम गुंजन
ध्वनि तरगों से हरिहर
सहस्त्र कोटि ब्रह्मांड गूँजे,..3
आ तुझे लेकर चलु
उस गगन के तलै
जहाँ चन्दा तारे
करोड़ो सूरज पलै,...4
नही आयन न विमान
न आयु का रोक चले
उस गगन के सफर मे
हरिहर कोई रोग पलै,.
सहस्त्र कोटि सहस्त्र पल
से भी कम मे नितहलै,..5
तीन तंरगे सात बन्ध
सब का खेल निराला
कोई कोई बिरला वीर
अनोखा आनन्द लेने वाला
आ तुझे लेकर चलु
उस गगन के तलै
जहाँ चन्दा तारे
करोड़ों सूरज पलै,..6