आओ स्वीकार करे
ये फ़िजा हमारी हैं,..
इससे भी प्यार करे
महज़ दो पल के लिये
क्या फूलो को मसलना,..
बस दूर से निहारै
अबोध बालक की तरह
आ नया गुलसिताँ तैयार करें,...
किसी को मिटाना साहब
हमारी रिवायत नही,...
बिना अपराध का जहाँ तैयार करें,..
आओ स्वीकार करें
ये फ़िजा हमारी हैं
इससे भी प्यार करे
समझ के कागज़ के घरौंदों में हैं
सिसकती जिंदगीया,.
आ सर्द रातो में किसी को
घर से न दर किनार करे,..
माना अमिट हैं कहानी तेरी
कोशिश तो कर,..
तेरी किसी बदनाम
कहानी को कोई न याद करे
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