Saturday, 11 January 2020

आजाद परिंदे कहते है

आज़ाद परिंदे कहते है
दीवारों से डरना क्या,.
इक दिन तो गिरना हैं
रोज़ रोज़ का मरना क्या,..१
हम इंसा जैसे नही
जो व्यर्थ बन्धनों में रहता,.
डरा डरा सा रहने वाला....२
खुद को ख़ुदा वो कहता है
तुम क्या जानो इंसानों
आज़ादी किसको कहते है,..
जो खुद ही अविश्वासी
मन मरे घरो में रहते है...३
पावो में बन्धनों की बेड़ियां
घुटन की साँसों को
आजादी वो कहते है
हम आज़ाद परिंदे
नील गगन में उड़ते है.....४
नही इंसानो जैसे
मन ग़ुबार हवा लिये
कायरों से फिरते है
क़ायनात की मर्यादाओं 
का हम दिल से मान धरे,..५
तुम इंसान हर पल
क़ायनात की मर्यादाओं
का क़त्ल करे...६
हम आजाद परिंदे
आज़ादी का सम्मान करें
मिलकर हम परिंदे
 नील गगन नाप धरै...

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