Wednesday, 15 January 2020

राह पकड़ो मन्जिल की

चलो राह पकड़ो
मंजिल की तलाश में,...
चाह हैं मंजिल की तो
हमसफ़र क्या करने,..
मौन के निर्माण में,..
शोर का निर्वाण कर,..
किसी से भेद क्यू
पर न किसी अपमान कर
जंगलों की आग से 
क्या डरना तुझे,...
बस मैं की वासना से
 हरिहर दूर रह.....
चलो राह पकड़ो 
मंजिल की तलाश में,..
बूत परस्त हैं तो क्या
विश्वास से वास कर,..
मौन से नाता तेरा
मौन से सांस धर,..

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