आज के लोग
झट से तोल देते है
किरदार किसी का,..
कोन है जिस्म,
जिसमे कमी न हो
तू ही बता
किसे पूर्ण किया है रब ने...
पहिया समय का ,हरिहर
यू ही चलाता है वो
किसी को ताज,
किसी को टाट
दिला ता है हो
न बन तू सौदागर बड़ा,
बड़े बड़ो को,
बर्फ में लगता है वो,..
जो जो सिकंदर बना
भुला है औकात ए दायरा,
सब दायरे मे लाता है वो,