Monday, 3 February 2014

                                         गीता सार :-3    


  1.  

  2. 1.  देह में प्राण है।तो ,हरिहर, हम प्राणी है। अन्यथा मिट्टी
  3. मन में मानवता है। तो मानव नही तो पशु

  4. 2. सूर्य का प्रकाश पड़ते ही ओस कि बुंद हीरे कि तरह चमकने लगती है।
  5. हरिहर इसी प्रकार सतगुरु की एक मात्र
  6. सनेह दृष्टि शिष्य का जीवन प्रकाशमय कर देती है।

  7. 3. मन से तेज दौड़ सकें। ऐसा घोड़ा देव लोक में भी नही।।
  8. ,हरिहर किन्तु मन रोकने वाला चाबुक तुम्हारे पास है

  9. 4. जो ईशवर पर निर्भर है, हरिहर, वही सही मायनें में निर्भय है।

  10. 5 .जो हरि नाम से अछूता है।,हरिहर,की नजर में वही अछुत है

  11. 6. हरिहर, आप कितनें भी महान क्यूँ न हो।
  12. मरनें के पशचात औरो के लिए कुड़ा है। 
  13. जिसें शीघ्र घर से निकालने की तैयारी होती है
  14. और हम........मेरे मेरे,मै मै....?

  15. 7. तपन और तप में अंतर है। तपन शरीर को और तप,हरिहर,पाप को जलाता है।

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