गीता सार :-3
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- 1. देह में प्राण है।तो ,हरिहर, हम प्राणी है। अन्यथा मिट्टी
- मन में मानवता है। तो मानव नही तो पशु
- 2. सूर्य का प्रकाश पड़ते ही ओस कि बुंद हीरे कि तरह चमकने लगती है।
- हरिहर इसी प्रकार सतगुरु की एक मात्र
- सनेह दृष्टि शिष्य का जीवन प्रकाशमय कर देती है।
- 3. मन से तेज दौड़ सकें। ऐसा घोड़ा देव लोक में भी नही।।
- ,हरिहर किन्तु मन रोकने वाला चाबुक तुम्हारे पास है
- 4. जो ईशवर पर निर्भर है, हरिहर, वही सही मायनें में निर्भय है।
- 5 .जो हरि नाम से अछूता है।,हरिहर,की नजर में वही अछुत है
- 6. हरिहर, आप कितनें भी महान क्यूँ न हो।
- मरनें के पशचात औरो के लिए कुड़ा है।
- जिसें शीघ्र घर से निकालने की तैयारी होती है
- और हम........मेरे मेरे,मै मै....?
- 7. तपन और तप में अंतर है। तपन शरीर को और तप,हरिहर,पाप को जलाता है।
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