गुरू बिन काहू मिले नही ग्यान।
गुरू रखवारो दे साथ हमारो
कटे भव फन्द खिले मुस्कान।
दया निधि बिन्दु कृपा के है सिन्धु
उबारेगे संकट सें मोरे प्रान।
सब छोड के आस पडो तेरे पास
करें कर जोर कै जोर प्रणाम।
भले कर्ण जैसी नही मुझमें शक्ति
भले पांडवों सी नही मुझमें भक्ति
मुझे एकलव्य सा नही ग्यान है
गुरू की कृपा की न पहिचान है
पतित अग्य हूँ भ्रष्ट हूँ बेसहारा
दीजिए ना गुरू आप अपना सहारा
नमन है तेरी आज रज धूल को
खिला दे मेरे भी चमन फूल को
सिर झूका तेरे चरणो, दुवा दीजिए
गुरू कृपा की नजर एक इधर कीजिए
भले पांडवों सी नही मुझमें भक्ति
मुझे एकलव्य सा नही ग्यान है
गुरू की कृपा की न पहिचान है
पतित अग्य हूँ भ्रष्ट हूँ बेसहारा
दीजिए ना गुरू आप अपना सहारा
नमन है तेरी आज रज धूल को
खिला दे मेरे भी चमन फूल को
सिर झूका तेरे चरणो, दुवा दीजिए
गुरू कृपा की नजर एक इधर कीजिए