Sunday, 5 November 2023

नाद ब्रह्म

नाद ब्रह्म, 
नाद उत्सर्जन
नाद हरावै
सब बीमारी,..
अंहद कुंड,.
अमृत पानी
कर हरिहर 
कूदन की तैयारी,
खोजत खोजत
जग मुआ,..
बस कर
खोने की तैयारी,..
रोम मे राम
कण में कृष्ण
अंहद सब अवतारी,..
बाहर भृम
अंहद ब्रह्म चेतन
करे तैयारी,..

कुटिया ये किराये वाली

कुटिया ये किराये वाली
करनी पड़ेगी ख़ाली
कौन करे रखवाली
ये दुनिया हैं माया वाली
कौन करे रखवाली
करनी पड़ेगी खाली
कुटिया से किराये वाली
जोड़े से न सांस जुड़े
सांस है जाने वाली
कौन करे रखवाली
कुटिया ये किराये वाली
बाहर का क्या जायेगा
साथ नही नार मतवाली
हरिहर हैं जाने वाली
कौन करे रखवाली
कुटिया से सांसो वाली
साथ नही जाने वाली
कौन करे रखवाली

Sunday, 1 October 2023

मेरी गंगा यात्रा भाग 113

मेरी गंगा यात्रा भाग 113
इक प्रयास गंगा बचे
#गंगाआंदोलन इतिहास की खोज करते बहुत से लेख मिले जो हैरान करते हैं, परन्तु आम लोगो को इसकी कोई जानकारी नही है और हो भी कैसे आजादी के बाद सरकार ने कभी सत्य प्रकाश मे आये कोशिश ही नही की,स्कूलों बहुत कुछ ऐसा है जो मिथक हैं परंतु वो कहानी हमारे पाठ्यक्रम का हिस्सा बन गया, क्या किया जा सकता हैं जिसकी लाठी उसकी भैस उसका दूध,इतिहास कहता है कि अकबर गंगाजल ही पीता था या अंग्रेज समुद्र यात्रा में गंगा जल ले जाते थे ताकि महीनों पीने का पानी खराब न हो वगैरहा – वगैरह. पर कही यह अपने स्कूलों मे पढा..? ऐसा ही बहुत कुछ है जो गंगाजल की महिमा का बखान करता हैं परंतु कहि गंगा नदी न होकर कुछ और हो जाये आस्था कहि राजनीतिक और व्यवसाय से पर भारी न पड़े इतिहास से छेड़छाड़ होती रही,और गंगाजल जो कृषि और पूर्व के लोगो के लिये वरदान था उसे मिटाने का मुहिम गुप्त रूप से चल गया,गंगा के अस्तित्व को खतरे मे डालने के लिये गंगा किनारे बसै शहरों मे चमड़ा, रँगाई, रासायनिक उद्योगों को बढ़ावा दिया गया,जिसका परिणाम 100 वर्षो बाद दिखने लगा ,मैकाले की शिक्षापद्धति हो या आजादी के बाद नेहरू जी विकासनीति हिन्दू धर्म का नाश ही करने के लिये थी,परिणाम आपके सामने है वोट की राजनीति के चलते हमारी संस्कृति का ह्रास होता रहा गङ्गा मैली, गौ पेट मे, गीता केवल कसम खाने को,गायत्री,..?आपके सामने हैं परन्तु वो आस्था को नही मिटा पाये पिछले 100 वर्षों मे गंगाजल के वैज्ञानिक पहलुओं पर चर्चा कम ही हुई है. कोरोना के साए में इसके वैज्ञानिक पक्ष को समझने की कोशिश करते हैं. शोध में पाया गया है कि गंगा जल में करीब 20-25 वायरस ऐसे हैं, जिनका इस्तेमाल ट्यूबरोक्लोसिस (टीबी), टॉयफॉयड, न्यूमोनिया, हैजा-डायरिया, पेचिश, मेनिन्जाइटिस जैसे अन्य कई रोगों के इलाज के लिए किया जा सकता है.
गंगाजल पर किए अपने प्रयोगों में पाया कि यहां के पानी में डायरिया, खूनी पेचिश और टायफायड पैदा करने वाले बैक्टेरिया तेजी से पैदा हो रहे हैं. लेकिन ये संकेत वहीं मिल रहे हैं जहां नदी सर्वाधिक प्रदूषित है और ठहरी हुई है.
जो गंगा जल सुखकर्ता रोगहर्ता था अब रोग कर्ता होने वाला हो सकता है भविष्य क्या होगा आपके हाथ मे ही हैं