Tuesday, 29 October 2019

क्या दाद दे,...

क्या दाद दे,..
दुनिया बनाने वाले की,..
दर्द है तो दवा हैं
दवा काम न करें
तो दुआ हैं
ये हैं तब तमाशा,..
जब सब मे
ख़ुद छुपा हैं,...
कही छपा हैं
कही छुपा हैं
अजीबोगरीब सब,..
क्या उससे छुपा है
कहा तमाशबीनो
का खेल,..
बस फ़क़ीरी में
वो फ़क़ीर हुआ है
वही हँसी हैं
वही गमगीन,..
वो

अज़ब पहेली बना

ख़ुद ही तमाशबीन

मैं न बदला

मैं न बदला
हज़ार कोशिशों के बाद...
मैं इंसान होता
तो बदलता,..
तेरे विचारों से उतपन्न
मै भाव हूं
मैं कहा मरा,.
करता स्थान परिवर्तन,..
आत्मा मरकर
देह बदले
मैं बदलता
विचार परिवर्तन,..
मैं नही अकेला,..
सब मेरे साथी
सहजता से
मुझ बिन किसी को
नींद न आती
मैं हर जीव का साथी
मैं मरता
तो दुनिया ही
स्वर्ग न हों जाती ?