दायरा रख ज़रूरी हैं,..
यू बेहिसाब
दुनिया चलती नही,..
न नफ़रत का मंजर बना,..
फ़रेब से इस जहांन मे
किसी की दाल गलती नही,..
झूठ का सूरज चमकता
कहा बरसो के लिये,
बिन विश्वास के
राह बन ती नही,..
बदलना हैं तो साहब
खुद को बदल,
बिना तेरे तपै दुनिया
चलती नही
माना कि हम
खासो ऐ आम नही,..
पर बिन कचरे के
भी क़ायनात पलती नही,..
बैकार यहाँ दोस्त
कुछ भी नही,..
बिन ताप के
धरती चलती नही